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भारत ये एक ऐसा देश है जहाँ हर तरह के लोग रहते है ,जो अलग-अलग रीती रिवाज़ो को मानते है , भारत में अपने भगवन अपने रीती-रिवाज़ो के प्रति अटूट आस्था होती है पर कभी-कभी ये आस्था अंधविश्वास का रूप ले लेती है , वैसे बहुत से लोग ये कहते है की "अनपढ़" लोग ही ज़्यादा अंधविश्वास को मानते है पर अब पढ़े-लिखे लोग भी अंधविश्वाशी हो गए है | आप भी कही न कही अपने स्वार्थ के लिए इन अंधविश्वासों को मान रहे है | आप इन अंधविश्वास को मान तो रहे है पर इनके पीछे छिपे करण को नहीं जानते।
तो आइये हम आपको ऐसे ही कुछ अंधविश्वासों और उनके पीछे छिपे कारणों के बारे में बताते है |
नज़र बट्टू
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उत्तर भारत में नींबू को शुभ माना जाता है और अनेको अनुशठान मे इसका प्रयोग किया जाता है। नींबू और मिर्च के गाठ-बन्धन नए घरों और दुकानो के द्वार पर लगाया जाता है। माना जाता है कि ऐसा करना बुरे आत्माओं और अपशगुन दूर करता है। इस गाठ-बन्धन का नाम नज़र-बट्टू है और इस्मे 7 मिर्च और 1 नींबू का प्रयोग होता है। नज़र बट्टू को दैनिक, साप्ताहिक या पाक्षिक बदला जाता है।
नदी में सिक्के फेंकना
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भारत में आपको कई ऐसी जगह मिलेंगी जहाँ आप पानी में सिक्के फेंककर कोई मन्नत मांग सकते है जो बाद में पूरी हो जाती है। क्या वाकई ऐसा होता है ? , असल में पुराने ज़माने में सिक्के पीतल के हुआ करते थे और यदि आप विज्ञान पढ़े है तो आपको भी पता होगा की पीतल पानी साफ़ कर देता है और किटाणु भी मार देता है। यही वजह है की पुराने जामने में नदियों या कुओं में सिक्के डाले जाते थे न की इससे उनकी मांगी हुई तमन्ना पूरी होती थी , ये सिर्फ अंधविश्वास है।
सूर्य डूबने के बाद घर की सफाई
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आपने भी यह ज़रूर सुना होगा और हो सकता है आप भी इसमें विश्वाश रखते है की शाम या अँधेरा होने के बाद घर की सफाई नहीं करनी चाहिए। है न ! अगर आप ऐसा करते है तो समझिये की आपकी किस्मत ख़राब होना पक्का है। जबकि ऐसा बिलकुल नहीं है यह भी सिर्फ और सिर्फ एक अन्धविश्वास है। अब आप सोचेंगे की ये तो पहले से ही चला रहा है , हमारे पूर्वजो का ही ये कहना है भला वो कैसे गलत हो सकते है। अगर हम पुराने ज़माने की बात करे तो पुराने ज़माने में आज के जैसी बिजली की व्यवस्ता नहीं थी तो वह लोग अगर शाम को सफाई करते तो सफाई ठीक से नहीं हुआ करती थी और साथ ही अगर सफाई करते समय कुछ ज़रूरी समान गिरता जैसे कोई गहना या कुछ और तो वो भी धूल मिट्टी के साथ बाहर फेक दिया जाता था। यही कारण था की पहले के लोग शाम को सफाई नहीं करते थे।
कांच का टूट्ना
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कांच का टूट्ना भारत में बहुत बड़ा अपशगुन माना जाता है। कहाँ जाता है की कांच के टूटने से कोई बहुत बड़ा अनर्थ होता है जैसे किसी की मृत्यु या आप कुछ अच्छा करने जा रहे हो तो उसमे कुछ बुरा होना।
क्या आप भी ऐसा ही सोचते है ? असल में पुराने ज़माने में कांच लगवाना या उससे बानी चीज़े खरीदना बहुत महंगा होता था और उसे कोई तोड़े नहीं इसीलिए यह अंधविश्वास लोगो में फैलाया गया।
छींकना
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कहते है की जाते समय अगर कोई छीकता है तो वह अपशगुन होता है। अगर आप बाहर किसी ज़रूरी काम से जा रहे हो और कोई छींक दे तो आपका काम ख़राब हो जाएगा। जबकि ऐसा कुछ नहीं है छींक आना एक स्वीभाविक चीज़ है , जिसे कोई भी नहीं रोक सकता। यदि आप सोचकर ही चलेंगे की अब मेरा काम ख़राब होगा तो वह काम सही कैसे हो सकता है। तो यह भी सिर्फ एक अंधविश्वास ही है और कुछ नहीं।
पीपल पेड़ की छाया
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पीपल के पेड़ पर बैठा भूत वाली कहानी तो सबने सुनी ही होगी और रात के समय उसके पास जाने से भी डरते ही होंगे, आखिर उसपर भूत जो रहते है। बिलकुल नहीं ! उसपर कोई भूतों का साया नहीं होता है। यह सिर्फ एक कल्पना मात्र है। ज़रा सोचिये जिस पेड़ के नीचे भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई , उस पेड़ पर भला भूतो का वास कैसे हो सकता है।
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