3 करोड़ के बंगले में रहने वाली ये महिला लगाती है सड़क किनारे छोले कुलचे का ठेला
सड़क किनारे छोले कुलचे के ठेले लगाने वालो को देखकर आपके दिमाग में सबसे पहली क्या चीज़ आती है ? गरीब . यही न ! बेशक जब वो सड़क किनारे ठेले पे कुछ बेच रहे है तो वो गरीब ही होंगे पर आज हम जिससे आपको मिलवाने वाले है वो भले ही सड़क किनारे ठेला लगाती हो पर रहती 3 करोड़ के बंगले में है इतना ही नहीं उसके पास एक एसयूवी कार भी है . अब चौकिये मत हम बिलकुल सच कह रहे है . आइये पढ़ते है पूरी खबर

कहते है की सबको कभी न कभी बुरे दौर से गुज़रना पड़ता है और ऐसे ही दौर से फ़िलहाल गुज़र रही है उर्वशी .
उर्वशी गुरुग्राम में फुटपाथ पर छोले कुलचे बेचती है. अब आपके मन में ये सवाल उठ रहा होगा की 3 करोड़ के बंगले में रहने वाली महिला को सड़क किनारे छोले कुलचे बेचने की क्या ज़रूरत पड़ गई ? तो आपको बता दे की इसके पीछे एक कहानी है और हमे यकीन है इसे सुनने के बाद आप भी भावुक हो जाएंगे .

उर्वशी की ज़िंदगी काफी अच्छी थी पर 6 साल पहले हुए उनके पति के हादसे ने उनकी जिंदिगी ही बदल दी . उनके पति का काफी दर्दनाक हादसा हुआ था इस हादसे में उन्हें काफी चोटे आई, जिसके बाद उन्हें पास के हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया . अपने पति की जिंदिगी बचाने के लिए उर्वशी को काफी पैसों की ज़रूरत थी इसीलिए उन्होंने घर में रखी सारी जमापूंजी पति के इलाज में लगा दी . इसके साथ ही उनके कंधो पर घर चलाने की ज़िम्मेदारी भी आ गई .

पहले-पहले तो उन्होंने नर्सरी के बच्चों को पढ़ाया और उससे जो पैसे मिले उससे घर चलाया पर इसमें आमदनी इतनी कम थी की घर का खर्च भी इससे पूरा नहीं हो पा रहा था और पति के इलाज के लिए भी काफी पैसे चाहिए थे . इसीलिए उर्वशी ने सोचा की उन्हें छोले कुलचे का ठेला लगाना चाहिए . उनके इस निर्णय से घर के लोग उनसे काफी नाराज़ हुए पर उर्वशी ने उन लोगो को नज़र-अंदाज़ किया और गुरुग्राम में छोले कुलचे का ठेला लगाना शुरू कर किया .

उर्वशी को खाना बनाना अच्छे से आता था और उनके खाने में स्वाद भी था और इसी की बदौलत उनका ये काम चल निकला . उर्वशी ने काफी मेहनत की और पुरे लगन के साथ इसे सफल भी बनाया . आज वो प्रतिदिन 2000 से लेकर 4000 तक की कमाई आसानी से कर लेती है . आपको बता की उर्वशी ग्रेजुएट हैं और अंग्रेजी काफी अच्छी बोल लेती है . अपने इस काम से मिली सफलता से वो काफी खुश है उनका कहना है की "अब मुझे अपने पति केइलाज का खर्च निकालने में भी कोई दिक्कत नहीं आती" और साथ ही उनका मानना है की कोई काम छोटा बड़ा नहीं होता इसीलिए "मुझे मेरा काम भी छोटा नहीं लगता और मुझे ये काम करने में कोई शर्म नहीं आती "

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